इतिहास प्रशन 1
1. टीपू सुल्ताना ने अंग्रेजो के साथ युद्ध करते हुए कब वीरगति प्राप्त की?
1.1799
व्याख्या- 'टीपू सुल्तान' भारतीय इतिहास में 'शेर-ए-मैसूर' के नाम से प्रसिद्ध है। वह प्रसिद्ध योद्धा हैदर अली का पुत्र था। हैदर अली की मृत्यु के बाद पुत्र टीपू सुल्तान ने मैसूर की सेना की कमान संभाली थी। टीपू अपने पिता की ही भांति योग्य एवं पराक्रमी था। 'मैसूर की तीसरी लड़ाई' में भी जब अंग्रेज़ टीपू सुल्तान को नहीं हरा पाए, तो उन्होंने मैसूर के इस शेर से 'मेंगलूर की संधि' नाम से एक समझौता किया। लेकिन 'फूट डालो और शासन करो' की नीति चलाने वाले अंग्रेज़ों ने संधि करने के कुछ समय बाद ही टीपू से गद्दारी कर डाली। ईस्ट इंडिया कंपनी ने हैदराबाद के साथ मिलकर चौथी बार टीपू पर ज़बर्दस्त हमला किया और आख़िरकार '4 मई, सन् 1799 ई.' को मैसूर का शेर श्रीरंगपट्टनम की रक्षा करते हुए शहीद हुआ।
2.बुद्ध में वैराग्य भावना किन चार दृश्यों के कारण बलवती हुई?
उत्तर- बूढ़ा, रोगी, मृतक, सन्न्यासी
व्याख्या- गौतम बुद्ध का मूल नाम 'सिद्धार्थ' था। वे राजा शुद्धोदन और महामाया के पुत्र थे। शुद्धोदन ने सिद्धार्थ को चक्रवर्ती सम्राट बनाना चाहा, उसमें क्षत्रियोचित गुण उत्पन्न करने के लिये समुचित शिक्षा आदि का प्रबंध भी किया, किंतु सिद्धार्थ सदा किसी चिंता में डूबे दिखाई देते थे। अंत में पिता ने उन्हें विवाह बंधन में बांध दिया। एक दिन जब सिद्धार्थ रथ पर भ्रमण के लिये निकले तो उन्होंने मार्ग में जो कुछ भी देखा, उसने उनके जीवन की दिशा ही बदल डाली। एक बार एक दुर्बल वृद्ध व्यक्ति को, एक बार एक रोगी को और एक बार एक शव को देख कर वे संसार से और भी अधिक विरक्त तथा उदासीन हो गये। एक अन्य अवसर पर उन्होंने प्रसन्नचित्त सन्न्यासी को देखा। उसके चेहरे पर शांति और तेज़ की अपूर्व चमक विराजमान थी। इस दृश्य को देखकर सिद्धार्थ अत्यधिक प्रभावित हुए और उनके मन में वैराग्य की भावना बलवती हो उठी।
3.सम्राठ अशोक की वह कौन-सी पत्नी थी, जिसने उसे सबसे ज़्यादा प्रभावित किया था?
उत्तर- कारुवकी
व्याख्या-'सम्राट अशोक' को अपने विस्तृत साम्राज्य के बेहतर कुशल प्रशासन तथा बौद्ध धर्म के प्रचार के लिए जाना जाता है। जीवन के उत्तरार्ध में अशोक गौतम बुद्ध का भक्त हो गया था। कतिपय लेखों में उसके नज़दीकी रिश्तेदारों के नाम भी दिये गये हैं। इनमें उसकी दूसरी रानी कारुवाकी और उसके पुत्र तीवर के उल्लेख हैं। एक बाद के लेख में अशोक के पोते दशरथ का नाम आया है। अशोक के लेखों में और जनश्रुतियों में भी अशोक की कई पत्नियाँ होने का उल्लेख है। सिंहली अनुश्रुतियों के अनुसार उसकी पहली पत्नी का नाम 'देवी' था, जो वेदिसगिरि के एक धनी श्रेष्ठी की पुत्री थी। अशोक ने उसके साथ तब विवाह किया, जब वह उज्जैन में वाइसराय था।
उत्तर- जेम्स प्रिसेंप
व्याख्या- मौर्य सम्राट अशोक के इतिहास की सम्पूर्ण जानकारी उसके अभिलेखों से मिलती है। यह माना जाता है कि अशोक को अभिलेखों की प्रेरणा ईरान के शासक 'डेरियस' से मिली थी। अशोक के लगभग 40 अभिलेख प्राप्त हुए हैं। ये ब्राह्मी, खरोष्ठी और आर्मेइक-ग्रीक लिपियों में लिखे गये हैं। सम्राट अशोक के ब्राह्मी लिपि में लिखित सन्देश को सर्वप्रथम एलेग्जेंडर कनिंघम के सहकर्मी जेम्स प्रिंसेप ने पढ़ा था। शिलालेखों और स्तम्भ लेखों को दो उपश्रेणियों में रखा जाता है। 14 शिलालेख सिलसिलेवार हैं, जिनको 'चतुर्दश शिलालेख' कहा जाता है। ये शिलालेख शाहबाजगढ़ी, मानसेरा, कालसी, गिरनार, सोपारा, धौली और जौगढ़ में मिले हैं।
5.महावीर ने 'जैन संघ' की स्थापना कहाँ की थी?
उत्तर- पावापुरी
व्याख्या- 'बिहार शरीफ़' से लगभग आठ किलोमीटर की दूरी पर दक्षिण-पूर्व पावापुरी जैनियों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। जैन धर्म के ग्रंथ 'कल्पसूत्र' के अनुसार महावीर स्वामी ने पावापुरी में एक वर्ष बिताया था। यहीं उन्होंने अपना प्रथम धर्म-प्रवचन किया था, इसी कारण इस नगरी को जैन धर्म के संम्प्रदाय का सारनाथ माना जाता है। महावीर स्वामी द्वारा 'जैन संघ' की स्थापना पावापुरी में ही की गई थी। उनकी मृत्यु 72 वर्ष की आयु में 'अपापा' के राजा हस्तिपाल के लेखकों के कार्यालय में हुई थी। कनिंघम ने पावा का अभिज्ञान कसिया के दक्षिण पूर्व में 10 मील पर स्थित फ़ाज़िलपुर नामक ग्राम से किया है।
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